UPSC Success Story: पिता साइकिल पर बेचते हैं कपड़े, बेटे ने क्रैक किया UPSC एग्जाम, तीसरे प्रयास में हासिल की 45वीं रैंक

 
UPSC Success Story: पिता साइकिल पर बेचते हैं कपड़े, बेटे ने क्रैक किया UPSC एग्जाम, तीसरे प्रयास में हासिल की 45वीं रैंक
UPSC Success Story: जो लोग चुनौतियों का सामना डटकर करते हैं उन्हें एक दिन सफलता जरुरी मिलती है। ऐसा ही एक उदाहरण पेश कर दिखाया है बिहार के रहने वाले अनिल ने। अनिल ने कड़ी चुनौतियों का सामना करके यूपीएससी परीक्षा पास कर अपने पिता का नाम रोशन किया है। अनिल का यूपीएससी तक का सफर आसान नहीं रहा है। आइए जानते हैं उनकी संघर्ष भरी कहानी के बारे में।

यूपीएससी का रिजल्ट आने के बाद सफलता की कई कहानियां निकलकर सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक कहानी है बिहार में किशनगंज के रहने वाले अनिल बसक की। अनिल ने 2020 में यूपीएससी में 45वीं रैंक हासिल की थी। अनिल की कामयाबी पर पूरा परिवार खुश हुआ। 

नाते-रिश्तेदार बधाई दे रहे थे। गांव में घर-घर लड्डू बंटे थे। लेकिन, यहां तक पहुंचने का अनिल का सफर चुनौतियों से भरा रहा। रास्ते में मुश्किलें ही मुश्किलें थी, लेकिन अनिल ने इन सबके बावजूद वो मुकाम हासिल किया, जिसे पाना तो दूर, सोचना भी आसान नहीं है।

चार भाइयों में दूसरे नंबर के अनिल का बचपन बेहद गरीबी और संघर्ष में बीता। पिता केवल चौथी तक पढ़े हैं। परिवार की गुजर-बसर के लिए गांव-गांव जाकर साइकिल पर कपड़े बेचते थे। ऐसे मुश्किल हालात में ही अनिल की शुरुआती पढ़ाई पूरी हुई। 

एक बहुत पुरानी कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। अनिल बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। माता-पिता को एहसास हो गया कि एक ना एक दिन उनका बेटा अनिल जरूर कुछ बनकर दिखाएगा। अनिल की पढ़ाई में परिवार ने पूरा साथ दिया। अपने खर्चे कम किए, लेकिन अनिल की पढ़ाई नहीं रुकने दी।

पहले आईआईटी और फिर यूपीएससी
परिवार का साथ मिला, तो अनिल ने भी उनके भरोसे पर खरा उतरने की ठान ली। उन्होंने तय कर लिया कि वो यूपीएससी क्लियर कर आईएएस अधिकारी बनेंगे। अनिल 12वीं में शानदार नंबरों के साथ पास हुए। 12वीं पूरी हुई तो अनिल आईआईटी-जेईई क्लियर कर बिहार से सीधे आईआईटी दिल्ली पहुंच गए। 

वो आईआईटी, जहां सीट पाना हर किसी के वश की बात नहीं। हालांकि, इंजीनियरिंग करते हुए भी अनिल अपना लक्ष्य नहीं भूले। आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी हुई तो अनिल यूपीएससी की तैयारी में जुटे गए।

अति-आत्मविश्वास में प्री तक क्लियर नहीं कर पाए
हालांकि, पहले ही प्रयास में उन्हें असफलता मिली। अनिल बताते हैं कि आईआईटी-जेईई क्लियर करने के बाद उनके अंदर एक अति-आत्मविश्वास पैदा हो गया था। उन्हें लगा कि जब उन्होंने इतनी कठिन परीक्षा पास कर ली, तो यूपीएससी उनके सामने क्या है। और इसी वजह से, अपने पहले प्रयास में वो प्री परीक्षा तक पास नहीं कर पाए। 

अनिल ने अपनी कमियों को समझा और एक बार फिर से यूपीएससी की तैयारी में जुटे। पढ़ाई के तरीके में भी बदलाव किया। उनकी मेहनत रंग लाई और दूसरे प्रयास में अनिल को यूपीएससी में 616वीं रैंक मिली। हालांकि, आईएएस अधिकारी बनने का उनका सपना अभी भी अधूरा था। रैंक के आधार पर उन्हें आईआरएस अधिकारी के तौर पर नियुक्ति मिली।