UPSC Success Story: किसान का बेटा बना IPS अफसर, 2 बार पास की UPSC परीक्षा, पिता ने पढ़ाई के लिए बेचे खेत

 
 UPSC Success Story: किसान का बेटा बना IPS अफसर, 2 बार पास की UPSC परीक्षा, पिता ने पढ़ाई के लिए बेचे खेत
UPSC Success Story: यूपीएससी को देश की सबसे मुश्किल परीक्षा में से एक माना जाता है। इस परीक्षा को हर साल लाखों युवा देते हैं लेकिन सिर्फ मुट्ठीभर ही इसे पास कर पाते हैं। आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने कड़ी मेहनत के बाद इस परीक्षा को पास कर सफलता हासिल की है।

 यह कहानी बिहार के एक किसान परिवार से निकले जाबांज आईपीएस अधिकारी दीपक कुमार (IPS Deepak kumar) की. यूपी में दीपक कुमार को एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट भी कहा जाता है. अब तक उन्‍होंने 56 एनकाउंटर किए हैं. दीपक कुमार इनदिनों आईजी रेंज आगरा के पद पर तैनात हैं. एक किसान परिवार के इस बेटे के यहां तक पहुंचने की कहानी भी काफी दिलचस्‍प है.

UPSC Success Story of IPS Deepak kumar: आईपीएस दीपक कुमार बिहार के बेगूसराय जिले के रामदिरी गांव के रहने वाले हैं. दीपक कुमार बताते हैं कि वह किसान परिवार से हैं और उनकी 5वीं तक पढ़ाई-लिखाई गांव के स्‍कूल से ही हुई. दीपक कहते हैं 5वीं के बाद की पढ़ाई के लिए वह नेतरहाट स्‍कूल चले गए, तब झारखंड, बिहार से अलग नहीं हुआ था.

ऐसे में वह बिहार में ही आता था. यह एक आवासीय स्‍कूल है. यहां उन्‍होंने 6वीं से 10वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद वह 12वीं करने पटना साइंस कॉलेज चले गए. पटना साइंस कॉलेज से 12वीं करने के बाद दीपक कुमार ने वराणसी के काशी विद्यापीठ से इकोनॉमिक्‍स से बीए किया. इकोनॉमिक्स में ग्रेजुशन करने के बाद दीपक कुमार दिल्ली चले गए. वहां से उन्‍होंने एलएलबी की पढ़ाई की.

दीपक कुमार कहते हैं कि स्‍कूल टाइम से ही कुछ दोस्‍त ऐसे थे, जो सिविल सर्विसेज में जाना चाहते थे, लिहाजा वह सब मिलकर तैयारी करते थे. यही कारण था कि उन्‍होंने कभी कोई कोचिंग नहीं किया और सेल्‍फ स्‍टडी के दम पर यूपीएससी की परीक्षा पास की. 

वर्ष 2003 में यूपीएससी की परीक्षा पास करने पर उनका सेलेक्‍शन दमन, दीप और दादर नागर हवेली पुलिस सर्विस (Daman & Diu and Dadra Nagar Haveli Police Service, DANIPS) के लिए हो गया, लेकिन दीपक कुमार यहीं नहीं रूके उन्‍होंने अगले साल फिर यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार उन्‍हें आईपीएस कैडर मिला.

Story of IG Agra range: दीपक कुमार पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि किसान परिवार के पास कोई इतनी आमदनी के साधन, तो होते नहीं और घर वालों की इच्‍छा थी कि उनके बच्‍चे पढ़े लिखे आगे बढ़ें और सरकारी अफसर बनें क्‍योंकि उनके परिवार में कोई सरकारी अफसर नहीं था. लिहाजा बच्‍चों की पढ़ाई के लिए परिवार के लोगों ने कुछ जमीनें भी बेचीं और हमलोगों को पढ़ाया.

दीपक कहते हैं आखिरकार मेहनत और संघर्ष की जीत हुई और परिवार में सरकारी अफसर बनने का सपना पूरा हुआ. वह कहते हैं कि आईपीएस में सेलेक्‍ट होने की सूचना उन्‍हें अपने दोस्‍तों से मिली, जिसके बाद उन्‍होंने फोन करके घरवालों को सूचित किया. पूरे घर में खुशी का माहौल छा गया. हालांकि दीपक कुमार कहते हैं कि उनकी इच्छा पत्रकार बनकर समाज में सुधार लाने की थी.

दीपक कुमार ने अपने कार्य के दौरान राजस्‍थान के बावरिया पर नकेल कस दी. उन्‍होंने बावरिया गिरोह को पकड़कर डकैती की सिलसिलेवार घटनाओं पर रोक लगा दी. इसके अलावा उन्‍होंने बांग्लादेशी गिरोह का न केवल खुलासा किया बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में उनके नेटवर्क का पर्दाफाश किया.

लखनऊ में तैनाती के दौरान उन्‍होंने मुहर्रम के जुलूस का रूट डाइवर्जन कराया, जिसकी काफी सराहना हुई, क्‍योंकि इस रूट के कारण हर साल घंटों सड़क जाम रहती थी और आए साल कहीं न कहीं छिटपुट हिंसा की घटनाएं सामने आती थीं.