श्री राम का जीवन चरित्र मानव के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है: त्रिपदा भारती

भजमन नारायण नारायण, हरि-हरि पर झूमे श्रद्धालु
 
श्री राम का जीवन चरित्र मानव के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है: त्रिपदा भारती

हरियाण में सिरसा शहर के नेहरू पार्क में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से 5 दिवसीय श्रीराम कथामृत का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी त्रिपदा भारती की ओर से कथा का वाचन किया जा रहा है।

कथा के द्वितीय दिन सिटी मजिस्ट्रेट पारस भागोरिया, रूपचंद भागोरिया, चंद्रवती भागोरिया, बिजली बोर्ड डबवाली के एसडीओ रमन बंसल, समाजसेवी पारस, बलजीत कुलड़िया, विरेंद्र गुप्ता, डा. अशोक गुप्ता ने दीप प्रज्जवलित कर कथा का शुभारंभ किया। जबकि जजमान के तौर पर अनिल चाचाण, अनिल डूबरा, आत्म प्रकाश वधवा ने शिरकत की। 

दूसरे दिन कथा का वाचन करते हुए साध्वी त्रिपदा भारती ने कहा कि प्रभु श्रीराम जन्म प्रसंग को बहुत ही रोचक व अध्यात्मिक तथ्यों सहित प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया प्रभु का जन्म व कर्म दिव्य होता है। जिसे हम साधारण बुद्धि के द्वारा नहीं समझ सकते। प्रभु की प्रत्येक लीला के पीछे आध्यात्मिक रहस्य होते हैं। जिन्हें हम ब्रहमज्ञान के द्वारा ही समझ सकते हैं। 

भजमन नारायण नारायण, हरि-हरि पर झूमे श्रद्धालु

इसके अतिरिक्त साध्वी जी ने बताया कि श्री राम का जीवन चरित्र मानव के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है। हमारे समाज को उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। किन्तु आज हमारा समाज ऐसे उत्तम चरित्र को भूलकर निकृष्टता का अनुसरण कर रहा है। जिसका परिणाम आप टूटते बिखरते परिवारों के रूप में, दिशाहीन युवाओं के रूप में व दम तोड़ती मानवता के रूप में स्पष्ट देख सकते हैं। 

इसलिए अगर हम एक सुंदर स य व श्रेष्ठ समाज की परिकल्पना को साकार करना चाहते है तो हमें श्रीराम जी के चरित्र को अपने जीवन में उतारना होगा और ऐसा अध्यात्म ज्ञान की दीक्षा को प्राप्त करके ही संभव हो सकता है। जब एक पूर्ण गुरु का आगमन हमारे जीवन में होता है तो वह हमें ब्रह्मज्ञान की दीक्षा देते हैं।

यही अध्यात्म हमारी भारतीय संस्कृति का भी आधार रहा है। जहां अन्य देशों की संस्कृतियां भोग पर आधारित है। वहीं हमारी भारतीय संस्कृति योग और अध्यात्म से संपन्न है। इसलिए अगर हम जीवन में उत्कर्ष प्राप्त करना चाहते है तो पुन: हमें अपनी संस्कृति के साथ जुड़ना होगा। इसके अतिरिक्त कथा में सुमधुर भजनों का गायन भी किया गया कथा का समापन प्रभु की पावन मंगल आरती के साथ किया गया।