महाभारत की ये स्त्री क्यों अपने ही पुत्र देखना चाहती थी नग्नावस्था में, जाने इसका रहस्यमयी कारण

 
महाभारत की ये स्त्री क्यों अपने ही पुत्र देखना चाहती थी नग्नावस्था में, जाने इसका रहस्यमयी कारण 

महाभारत, हिंदू पौराणिक ग्रंथों में सबसे प्रमुख है। यह ग्रंथ उन कई पात्रों के बारे में बताता है जिनसे लोग आज भी प्रेरणा लेते हैं और उनकी नीतियों का पालन करते हैं। महाभारत में कई ऐसे पात्र और घटनाएं हैं जिनका रहस्यमयी होना सभी के लिए है।

एक ऐसा पात्र है गांधारी, जो महाभारत में अपनी अनूठी भूमिका और दृढ़ संकल्प के लिए जानी जाती हैं। उनका आँखों को हमेशा ढककर रखना भी एक रहस्य है।

गांधारी, राजा धृतराष्ट्र की पत्नी और कौरवों की मां, मान्यता है कि उन्हें अपने पुत्र दुर्योधन को नग्न अवस्था में देखना चाहिए था, क्योंकि उन्हें उसके शरीर में अमृत्व का वरदान मिला था। इस इरादे के पीछे उनका मातृ-प्रेम था।

गांधारी की एक और कहानी है, जिसमें वह भगवान शिव की भक्त बन गई थीं। उन्होंने भगवान शिव से प्राप्त किया कि जो भी व्यक्ति उनकी नग्न आंखों में देखेगा, उसका शरीर वज्र का हो जाएगा। इस वरदान के चलते उन्होंने हमेशा अपनी आंखों को ढक कर रखा।

महाभारत युद्ध के पहले, गांधारी ने दुर्योधन से अपील की कि वह उनके सामने नग्न होकर आए, लेकिन दुर्योधन ने अपने शरीर के कुछ हिस्से पत्तों से ढंक लिए। जब गांधारी ने अपनी आंखें खोली, तो दुर्योधन का शरीर अब वज्र के समान कठोर नहीं था।

इसी वजह से वो हमेशा आंखों में पट्टी बांधकर रखती थीं और अपने ज्येष्ठ पुत्र दुर्योधन (कौन थीं दुर्योधन की पत्नी भानुमति) को उनकी नग्नावस्था में देखना चाहती थीं जिससे वो अमरत्व प्राप्त कर सके और उसे युद्ध में हरा पाना मुश्किल हो जाए। महाभारत युद्ध के दौरान भीम से युद्ध से पहले गांधारी ने दुर्योधन से आग्रह किया की वो गांधारी के सामने नग्नावस्था में आ जाए जिससे उसके शरीर का हर एक हिस्सा वज्र के समान कठोर हो जाए। 

गांधारी के आग्रह के बाद भी जब दुर्योधन उनके सामने आए तब दुर्योधन ने अपने गुप्तांगों को पत्तों से छिपा लिया। उस समय जब गांधारी ने अपनी आंखें खोली तब दुर्योधन उनके सामने पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में नहीं थे जिसकी वजह से दुर्योधन का जितना शरीर पत्तों के पीछे छिपा था उसके अलावा पूरा शरीर वज्र के सामान कठोर हो गया और उन्हें यह शक्ति मिल गई कि कोई उन पर वार नहीं कर सकता है। 

गांधारी के आग्रह पर जब दुर्योधन निर्वस्त्र माता गांधारी के सामने जाने लगे और बीच में वो श्रीकृष्ण के शिविर के बाहर से निकले उस समय श्रीकृष्ण ने हंसते हुए कहा कि दुर्योधन आप इस अवस्था में क्यों हैं।

श्रीकृष्ण कहते हैं तुम इस अवस्था में अपनी माता के पास क्यों जा रहे हो? तब दुर्योधन कहता है कि यह माता श्री का आदेश था। तब श्रीकृष्ण कहते हैं परंतु वह तो तुम्हारी माता हैं और इस तरह उसके सामने जाना ठीक नहीं है।

कोई भी वयस्क युवराज अपनी माता के सामने पूर्ण नग्न नहीं होता है और ये भरतवंश की परंपरा नहीं है। उनकी ये बातें सुनकर ही दुर्योधन ने अपने शरीर के कुछ हिस्सों को पत्तों से ढक लिया और वही हिस्से वज्र के नहीं बन पाए जिसकी वजह से महाभारत युद्ध में प्रहार के दौरान दुर्योधन को उन्हीं हिस्सों में आघात लगा जो वज्र के समान नहीं थे और उनकी मृत्यु हो गई।