Akbar's First Wife: कौन थीं मुगल बादशाह अकबर की पहली बेगम?

 
Akbar's First Wife: कौन थीं मुगल बादशाह अकबर की पहली बेगम? 

Akbar's First Wife: जब भी मुगल साम्राज्य के सबसे महान बादशाह का जिक्र होता है तो अकबर का नाम लिया जाता है। अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध के राजपूत किले, अमरकोट में हुआ था।  अकबर का पूरा नाम जलालुद्दी मोहम्मद अकबर था। अकबर का जिक्र हो और उनकी पहली बेगम के बारे में चर्चा न हो ऐसा थोड़ी हो सकता है। क्या आप जानते हैं कि मुगल बादशाह की पहली बेगम का क्या नाम था। आइए जानते हैं अकबर की पहली बेगम के बार में...

कौन थीं अकबर की पहली बेगम?
कई लोगों को ये नहीं मालूम कि अकबर की पहली पत्नी कौन थी और उनका नाम क्या था? आपको बता दें कि अकबर की पहली बेगम यानि पत्नी रुकैया सुल्तान बेगम थीं। हालांकि, रुकैया सुल्तान भी एक मुगल राजकुमारी थीं। इन्होंने अकबर से 9 साल की उम्र में मंगनी कर ली थी और 14 साल की उम्र में अकबर से निकाह कर लिया था। (भारत में मौजूद हैं मुगलों की यह खूबसूरत इमारतें)

मुगल साम्राज्य की कई सालों तक मलिका रहीं

रुकैया बेगम मुगल साम्राज्य की सन 1557 से लेकर 1605 तक मलिका थीं। क्योंकि ये मुगल साम्राज्य के तीसरे बादशाह अकबरकी पहली बेगम यानि पत्नी थीं। हालांकि, रुकैया बेगम अकबर की रिश्तेदार (चचेरी बहन) थीं, जिनसे अकबर से निकाह कर लिया था। रुकैया बेगम अकबर की बेहद खास और पसंदीदा बेगमथीं।

जानें निजी जिंदगी के बारे में
रुकैया बेगम का जन्म 1542 के आसपास हुआ था। उनके पिता का नाम हिंदाल मिर्ज़ा था, जो अकबर के पिता हुमायूं के छोटे भाई थे। रुकैया सुल्तान की परवरिश शुरू से ही एक शाही घराने में हुई थी क्योंकि वे मुगल खानदान से ही ताल्लुक रखती थीं। वे बेहद शांत और एक शक्तिशाली महिला थीं, जिन्होंने अपने शासन काल में कई ऐतिहासिक कार्य भी करवाए थे।

अकबर को नहीं दे पाईं कोई संतान

रुकैया बेगम अकबर को संतान नहीं दे पाई थीं। अकबर ने कई सालों तक अपनी संतान होने का इंतजार किया, लेकिन ये संभव नहीं हो पाया था। हालांकि, रुकैया सुल्तान अकबर से बहुत प्यार करती थीं और रुकैया सुल्तान अकबर की भी सबसे पसंदीदा बेगमों में से एक थीं। हालांकि, बादशाह ने अपनी संतान के लिए दूसरी शादी की थी। (मुगल साम्राज्य की इन शक्तिशाली महिलाएं)

काबुल में मौजूद है कब्र
रुकैया बेगम की 82 वर्ष की आयु में 19 जनवरी 1626 में मृत्यु हुई थी। उनकी मृत्यु के बाद उनकी कब्र काबुल के गार्डेन ऑफ बाबर में बनाई गई है। तब से लेकर अबतक उनकी कब्र काबुल में मौजूद है।