Amul की एक दिन की कमाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश, इतनी करती है कमाई जाने ?
New Delhi: स्वतंत्रता से पहले दूध बेचने वाले किसानों का शोषण आम था। उस समय, एक प्रमुख कंपनी पोल्सन गुजरात में सस्ते दर पर दूध खरीदकर महंगे दामों पर बेचती थी। इस समस्या के समाधान के लिए किसानों ने स्थानीय नेता त्रिभुवनदास पटेल से मिलकर सरदार वल्लभभाई पटेल से मिलने का निर्णय लिया।
त्रिभुवनदास ने फिर मोरारजी देसाई को गुजरात भेजा, और 1946 में अहमदाबाद के पास आणंद जिले में खेड़ा सहकारी समिति की स्थापना की गई। यह समिति बाद में अमूल बनी।
खेड़ा जिले के गांववालों ने दूध इकट्ठा करना शुरू किया, पहले केवल 2 गांवों से दूध आया था, लेकिन 1948 तक इस गांव की संख्या बढ़ गई और 432 गांवों के लोगों ने दूध देना शुरू किया। 1949 में, त्रिभुवनदास पटेल के प्रयासों के परिणामस्वरूप, डॉक्टर वर्गीज कुरियन ने इस क्षेत्र में कदम रखा और श्वेत क्रांति को जन्म दिया।
इस समिति को शुरू किया गया था, जिसका नाम अमूल्य (जिसका मतलब अनमोल) रखा गया। अमूल का पूरा नाम "आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड" है। इस समिति का संचालन गुजरात सरकार के द्वारा स्थापित "गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड" के अधीन आता है, और यह एक सहकारी संगठन है।
247 लीटर से शुरूआत
जब समिति की शुरुआत हुई, तब एक दिन में केवल 247 लीटर दूध आया था। 1948 में जब गांवों की संख्या बढ़कर 432 हो गई तो दूध की मात्रा बढ़ गई और 5000 लीटर तक पहुंच गई।
आज, लगभग 77 साल बाद, अमूल हर दिन 2.63 करोड़ लीटर दूध एकत्रित करती है, और इसमें 18600 गांव और कुल 36.4 लाख किसान शामिल हैं। नवीनतम डेटा के अनुसार, कंपनी रोज़ाना लगभग 150 करोड़ रुपये की कमाई कर रही है।
पोल्सन के बदले में
अमूल तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन यह अभी भी पोल्सन के खिलाफ तक़द का सामना कर रहा था। पोल्सन का बटर लोगों को बहुत पसंद आया था, और वह यूरोपीय तरीके से बटर बनाते थे, जिसमें वह नमक मिलाते थे, जबकि अमूल ऐसा नहीं करता था, जिससे लोगों को अमूल बटर का स्वाद फीका लगता था।
आखिरकार, अमूल ने भी नमक मिलाकर बटर बनाना शुरू किया, और इसके बाद "अमूल गर्ल" का जन्म हुआ, जिसे विज्ञापन में प्रमुख भूमिका मिली। "अमूल का बटर, बटरली डिलिशस" विज्ञापन ने इतनी चर्चा की कि इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया।