आज पूजा के वक्त शुक्रवार को करें यह काम, मां लक्ष्मी की कृपा से होगी धन दौलत की बरसात

 
आज पूजा के वक्त शुक्रवार को करें यह काम, मां लक्ष्मी की कृपा से होगी धन दौलत की बरसात

हर दिन का विशेष महत्व होता है, आज 30 अगस्त को शुक्रवार है। शुक्रवार दिन का भी विशेष महत्व होता है। इस  दिन धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है। जो व्यक्तिधन और संपत्ति की चाह रखते हैं कि वह शुक्रवार के दिन व्रत रखकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं. जिस व्यक्ति पर माता लक्ष्मी की कृपा होती है, उसके पास कभी भी धन, सुख और सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहती है। उसके पास कोई आर्थिक संकट नहीं होता है. लक्ष्मी कृपा से दरिद्रता दूर होती है। 


सिरसा के पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि शुक्रवार दिन का खास महत्व होता है। शुक्रवार को प्रदोष काल में आप महालक्ष्मी से जुड़ा एक उपाय करें तो आपको धन लाभ हो सकता है। इसके लिए आप सूर्यास्त के बाद जब अंधेरा होने लगे तो माता लक्ष्मी की पूजा करें और उस वक्त महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें, महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी खुश होती हैं, इसके बाद आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। 

उन्होंने बताया कि इसी के साथ ही शुक्रवार को शाम के वक्तमें आप माता लक्ष्मी को कमल और लाल गुलाब का फूल चढ़ाएं. अक्षत्, लाल सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें,  घी का दीपक जलाएं, माता लक्ष्मी की पूजा में कमलगट्टा, शंख, पीली कौड़ियों का उपयोग करें। माता लक्ष्मी के साथ आप गणेश जी, श्रीयंत्र और धनपति कुबेर की पूजा कर सकते है। देवी लक्ष्मी को मखाने की खीर, दूध से बनी सफेद मिठाई, बताशे आदि का भोग लगाएं. इतना करने के बाद आपको महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना चकरें। 

जय माता लक्ष्मी

महालक्ष्मी स्तोत्र
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।