भ्रष्टाचार पर केंद्र ने दिखाई सख्ती, राजस्थान के इन आईएएस-आईपीएस पर मुकदमा चलाने की दी मंजूरी

 
भ्रष्टाचार पर केंद्र ने दिखाई सख्ती, राजस्थान के इन आईएएस-आईपीएस पर मुकदमा चलाने की दी मंजूरी

जयपुर। केन्द्र सरकार ने बांसवाड़ा सम्भागीय आयुक्त नीरज के, पवन व तत्कालीन दौसा एसपी मनीष अग्रवाल के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। पवन के खिलाफ यह मंजूरी स्वास्थ्य मिशन में फर्जी तरीके से भर्ती मामले में तो अग्रवाल के खिलाफ दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस हाईवे के निर्माण वाली कम्पनी से रिश्वत लेने के मामले में दी है। दौसा में भ्रष्टाचार की इसी कड़ी में गिरफ्तार तत्कालीन दौसा एसडीएम पुष्कर मित्तल व बांदीकुई एसडीएम पिंकी मीना का मामला तीन साल से राज्य सरकार के पास लम्बित है।

एसीबी ने पड़ताल पूरी कर कांग्रेस राज में मार्च 2021 को अभियोजन की इजाजत मांगी थी, जो अभी तक नहीं दी गई है। दरअसल एसीबी ने हाईवे निर्माण में घूसखोरी का मामला वर्ष 2021 में पकड़ा था। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने हाईवे का निर्माण करने वाली कम्पनी से पांच-पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते दौसा एसडीएम पुष्कर मित्तल व बांदीकुई एसडीएम पिंकी मीणा को गिरफ्तार किया था।

पुष्कर मित्तल ने रिश्वत की राशि खुद स्वीकार की थी। साथ ही दस लाख रुपए की मांग करने वाली पिंकी ने रिश्वत की एक किस्त पांच लाख रुपए कम्पनी के ही लाइजनर के पास जमा कराई थी। वहीं दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल के दलाल नीरज मीणा को गिरफ्तार किया था। दलाल से पूछताछ के बाद मनीष अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया था।

🔷 #इधर, तीन साल से कार्मिक विभाग के पास लम्बित मामला-

एसीबी ने पड़ताल पूरी कर आईपीएस मनीष अग्रवाल के साथ पिंकी मीना व पुष्कर के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए राज्य सरकार से इजाजत मांगी थी। राज्य सरकार ने मनीष अग्रवाल का मामला नियमानुसार केन्द्र को भेज दिया। वहीं पिंकी व पुष्कर की फाइल कार्मिक विभाग के पास लम्बित है। वर्ष 2021-22 और 2023 में कई बार मंथन के बाद भी सरकार ने इजाजत नहीं दी। वर्ष 2024 में भी कोई निर्णय नहीं हुआ। इस बीच भारत सरकार ने इस माह आईपीएस मनीष अग्रवाल के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी दे दी है। 

🔷 #फर्जीवाड़े में नीरज की मुश्किल बढ़ी-

केन्द्र सरकार ने बांसवाडा सम्भागीय आयुक्त नीरज के. पवन के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है। मामला राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़ा है। इसके तहत वर्ष 2014-15 के लिए 6 जिलों में 7-7 पदों पर भर्ती करनी थी। हर जिले में मनोरोग विशेषज्ञ, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, साइकेट्रिक सोशल वर्कर, साइकेट्रिक नर्स, मॉनिटरिंग एंड ई-वैल्यूएशन ऑफिसर, केस हिस्ट्री असिस्टेंट व कम्यूनिटी नर्स भर्ती होने थे।

आरोप है कि फर्जी तरीके से रिश्तेदारों और चेहतों को नौकरी दी गई। इस मामले में एसीबी स्वास्थ्य विभाग के 3 पूर्व अधिकारियों सहित 5 जनों को गिरफ्तार कर चुकी है। पड़ताल में सामने आया था कि 56 लोगों को नौकरी दी गई, जिनमें से 25 के दस्तावेज फर्जी थे या पात्रता के समकक्ष नहीं थे। नीरज के. पवन के खिलाफ अभियोजन का मामला केन्द्र सरकार के पास वर्ष 2017 से लम्बित था।