Naked village : इस गांव में नहीं पहनने दिए जाते हैं कपड़े, महिलाएं और पुरुष रहते हैं साथ

 
Naked village : इस गांव में नहीं पहनने दिए जाते हैं कपड़े, महिलाएं और पुरुष रहते हैं साथ

भारत देश में ऐसे भी बहुत से गांव हैं। जिनके बारे में शायद आप जानते ही नहीं हैं कि वो अपनी जिंदगी कैसे जीते हैं। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमें महिलाएं और पुरुष बिना कपड़ों के रहते हैं। आइए नीचे खबर में विस्तार से जातने हैं। 

 रोटी, कपड़ा और मकान ये तीन चीजें इंसानों की मूलभूत आवश्कता हैं। इनमें से किसी एक चीज को हटा दिया जाए तो जिंदगी की कल्पना कर पाना थोड़ा मुश्किल है. यह खबर इंसान के पहनावे को लेकर है. किसी भी देश का पहनवा उस देश की संस्कृति से सीधे तौर पर जुड़ा होता है.

पूरी दुनिया में इंसान ही एक ऐसा प्राणी जो कपड़े पहनता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी धरती पर ऐसे कई समुदाय मौजूद हैं जो कपडे़ नहीं पहनते हैं. कई आदिवासी समुदाय कपड़े नहीं पहनते हैं लेकिन आदिवासी समाज आमतौर पर मुख्यधारा से खुद को दूर रखते हैं लेकिन यहां जिस समुदाय का जिक्र यहां किया जा रहा है, वह बहुत शिक्षित है और जिस गांव के बारे में यहां बताया जा रहा है, वह काफी ज्यादा एडवांस है।

इस गांव में बिना कपड़ों के रहते हैं लोग

ब्रिटेन में स्पीलप्लाट्ज नाम का एक गांव है जहां के लोगों ने करीब 94 सालों से बिना कपड़ों के रहने की जिंदगी चुनी है. यह गांव हर्टफोर्डशायर के ब्रिकेटवुड  के नजदीक है. यहां महिला और पुरुष सभी को निर्वस्त्र ही रहना पड़ता है. यहां की एक खास बात यह भी है कि यहां घूमने आने वालों को भी इसी तरह रहना पड़ता है.

स्पीलप्लाट्ज के लोगों की लाइफस्टाइल काफी ज्यादा एडवांस है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि गांव में खुद का पब, स्विमिंग पूल और दूसरी कई सुविधाएं मौजूद हैं. इस गांव को बसाने का श्रेय इसुल्ट रिचर्डसन को दिया जाता है. रिचर्डसन ने इसे साल 1929 में बसाया था. ठंड के समय यहां कपड़े पहनने की छूट होती है।

क्यों रहते हैं यहां के लोग नंगे

इस गांव को बसाने वाले इसुल्ट रिचर्डस का मानना था कि वह शहर के शोर-शराबे से दूर जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें प्र‍कृति के करीब जिंदगी बिताना था. इस तरह की जीवनशैली से गांव के लोग खुद को प्रकृति के करीब मानते हैं. आपको बता दें कि जब इस गांव की नींव पड़ी थी

तब इसे लेकर काफी विरोध हुआ था लेकिन जीने के अधिकार की वजह से सभी विरोधों को रोकना पड़ा. गौरतलब है कि भारत में अंडमान के एक द्वीप पर रहने वाली 'जारवा' आदिवासी जनजाति भी अपनी जिंदगी बिना कपड़ों के ही बिताती है।