IAS Story: पढ़-लिखकर बने अफसर, फिर लगे कई गंभीर आरोप, मच गया था हडकंप
IAS Story: जब एक युवा सपना देखता है कि वह IAS या IPS अफसर बने, तो उसका सपना होता है कि वह सिविल सेवा में देश की सेवा करें, जनता के लाभ के लिए काम करें। लेकिन कुछ कहानियां इस प्रकार की होती हैं जिनका जिक्र बहुत दिनों तक होता रहता है।
इन कहानियों से हमें यह सिखने को मिलता है कि अफसर बनने के बाद स्वयं को आरोपों से कैसे बचाना चाहिए। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अखंड प्रताप सिंह (Akhand Pratap Singh) भी इसी तरह की कहानी के हिरदे में हैं।
वे सिविल सेवा की परीक्षा में सफल हुए, लेकिन उन पर कई आरोप लगे। उनके पास अधिक से अधिक संपत्ति का आरोप भी था। बाद में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार भी किया।
EX UP chief secretary Akhand Pratap Singh: यूपीएससी पास करने वालों के पास जो चर्चा परीक्षा के दौरान होती है, पास होने के बाद भी उनके काम के चर्चे उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। हालांकि, कुछ अधिकारी अच्छे काम के बजाय, करतूतों के कारण सुर्खियों में आते हैं।
इसी तरह के एक अधिकारी, Akhand Pratap Singh, भी चर्चा के विषय बन चुके हैं। वे 1967 के बैच से हैं। जब वे यूपी के प्रमुख सचिव के पद पर थे, तब CBI ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अखंड प्रताप सिंह 2003 में सेवानिवृत्त हो गए थे। उनके खिलाफ 2005 में अधिक संपत्ति के मामले में केस दर्ज किया गया था। इस मामले में कहा गया कि वे कथित रूप से सबूतों को छेड़छाड़ करते थे, गवाहों को प्रभावित करते थे, और सीबीआई की जांच में सहयोग नहीं किया था।
इसके परिणामस्वरूप, सीबीआई ने 2007 में उन्हें गिरफ्तार किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अखंड प्रताप सिंह के पास करोड़ों रुपये की बेहिसाब संपत्ति थी, जिनमें से ज्यादातर बेनामी थी। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, और सहयोगियों के नाम पर 85 संपत्तियों में निवेश किया था।
वे करोड़ों रुपये को 100 से अधिक बैंक खातों में रखते थे, जो अलग-अलग लोगों के नाम पर थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन्हें यूपी आईएएस एसोसिएशन के शीर्ष तीन भ्रष्ट अधिकारी में शामिल किया गया था।
मीडिया द्वारा बताया गया है कि अखंड प्रताप सिंह के पांच संबंधित और तीन साथीदारों पर आरोप था कि उन्होंने असीम संपत्ति में निवेश करने में सहायता की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सीबीआई ने उस समय अनुमान लगाया था कि कुल संपत्ति लगभग 2.88 करोड़ रुपये थी, जिसमें नई दिल्ली, लखनऊ, बहराईच, और नैनीताल के प्रमुख क्षेत्रों में 40 बेनामी संपत्तियां शामिल थीं।
केवल इन संपत्तियों का मूल्य 1.83 करोड़ रुपये का था, जबकि वास्तविक मूल्य कई करोड़ रुपये से अधिक था।
जांच के बाद आने वाली मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अखंड प्रताप सिंह ने 1982 से 1998 के बीच उत्तर प्रदेश प्रशासन में अपनी सेवाएँ दीं थी। इस अवधि में, वह लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और फिर मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत रहे थे। जनवरी 2023 में उनका निधन हो गया।