Chopal Tv, Jaipur (Raj)
रीट को लेकर राज्य सरकार ने 11 जनवरी को एक नोटिफिकेशन और एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन जारी की थी। उस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी है। इसमें एनसीटीई की गाइडलाइन को असंवैधानिक घोषित करने गाइडलाइन को गलत बताते हुए उसके आधार पर रीट के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है।
इसके साथ यह भी मांग की है कि बीएड डिग्री धारकों को रीट लेवल फस्ट में शामिल नहीं किया जाये व केवल बीएसटीसी धारकों को ही शामिल को भी याचिका में आधार बनाया है। याचिका में जल्द सुनवाई किए जाने की गुहार भी की है।
वहीं राज्य सरकार को भी पहले से ही इस तरह की याचिकाएं दाखिल होने की संभावना थी। इसी वजह से सरकार ने पहले ही कैवियट दाखिल कर रखी है, ताकि एक पक्षीय तौर पर किसी तरह का फैसला नहीं हो।
लुबना फातिमा की ओर से दायर की गई याचिका में केंद्र व राज्य सरकार एनसीटीई के चेयरमैन व रीट-2021 समन्वयक सहित अन्य को पक्षकार बनाया है। अधिवक्ता कलिम खान और गीतेश जोशी ने बताया कि रीट 2021 के लेवल फस्ट में बीएड धारकों को शामिल नहीं कर उनसे कम योग्यता वाले बीएसटीसी धारकों को शामिल किया है। यह शिक्षा के अधिकार कानून के खिलाफ है, क्योकि कानून यह कहता है कि बच्चों को उच्च स्तरीय व गुणवत्ता युक्त शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता।
ऐसे में रीट लेवल फस्ट में बीएड व अन्य उच्च योग्यता वालों को शामिल नहीं करना संविधान के प्रावधानों के अनुसार गलत है। एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन असंवैधानिक घोषित की जानी चाहिए और उसके आधार पर जारी नोटिफिकेशन को रद्द किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार प्रथम श्रेणी के प्रथम और द्वितीय लेवल को मिलाकर करीब 31 हजार पदों पर भर्ती करने जा रही है। सरकार ने रीट का नोटिफिकेशन जारी किया है। लेकिन अब मामला हाईकोर्ट में फंसता नजर आ रहा है।
गौरतलब है कि बीते दिनों ही हाईकोर्ट ने कांस्टेबल के करीब साढ़े पांच हजार पदों के लिए आयोजित परीक्षा के जिलेवार परिणाम जारी करने पर रोक लगाई थी।