चंडीगढ़ नगर निगम की टेंडर प्रक्रिया पर उठे सवाल, एक ही कंपनी को अलॉट हुए सात टेंडर

 
चंडीगढ़ नगर निगम की टेंडर प्रक्रिया पर उठे सवाल, एक ही कंपनी को अलॉट हुए सात टेंडर

चंडीगढ़ नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर करीब 1100  कर्मचारियों की भर्ती से पहले एक विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद इन भर्तियों से पहले हुई टेंडर प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है।
 
दरअसल, निगम ने इसको लेकर 92 करोड़ रूपए के सात टेंडर निकाले थे। इन टेंडरों की प्रक्रिया टेंडर गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जेम) पोर्टल के जरिए हुई। टेंडर के लिए 136 कंपनियों ने पोर्टल पर आवेदन किया था लेकिन सातों टेंडर एक ही कंपनी आरआर इंटरप्राइजेज को अलॉट हो गए।
 
अब डिसक्वालिफाई होने वाली 135 कंपनियों के ठेकेदारों ने इस पर आपत्ति जाहिर की है क्योंकि इनमें ज्यादातर कंपनियों ने आरआर इंटरप्राइजेज की ही तरह टेंडर कॉस्ट पर 3.85 फीसदी सर्विस चार्ज कोट किया था। ऐसे में दूसरी कंपनियों का कहना है कि आरआर इंटरप्राइजेज लोएस्ट वन कैसे हो गई। इसको लेकर निगम कमिश्नर ऑफिस को शिकायत की गई है।
 
ट्राईसिटी मैनपावर कॉन्ट्रैक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने ईमेल के जरिए शिकायत भेजकर एक कंपनी को फेवर करने के आरोप लगाए हैं। हालांकि अभी तक इस मामले में किस आधार पर दूसरी कंपनियों को डिसक्वालीफाई माना गया, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
 
कॉन्ट्रैक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान का कहना है कि एसोसिएशन के करीब 10-15 प्रतिनिधि एडवाइजर और विजिलेंस सेक्रेटरी से मिलकर लिखित शिकायत देंगे। उनका कहना है कि उनकी कंपनी द्वारा विभागों में आउटसोर्सिंग पर 1500 कर्मचारी तक की सर्विस दी है। कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रूपए सालाना है। ऐसे में उनकी कंपनी का सात टेंडर में से चार में कैसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया।
 
कंपनियों का यह भी आरोप है कि इसमें ड्रॉ ऑफ अलॉट नहीं किया गया क्योंकि ड्रॉ होता तो उन्हें सूचित किया जाता। उन्होंने भी बाकी कंपनियों की तरह टेंडर कॉस्ट पर 3.85 फीसदी सर्विस चार्ज ही कोट किया था


बहराहल, इस मामले में नगर निगम कमिश्नर का कहना है कि इस चयन में नगर निगम का कोई लेना देना नहीं है। मैनपावर से जुड़े सभी टेंडर जेम पोर्टल पर फ्लोट किए जाते हैं। पोर्टल ऑटो रन प्रोसेस से चलता है और एक लोएस्ट वन बिडर को सेलेक्ट कर लेता है। 
 
वहीं नगर निगम चेयरमैन ने कहा कि इस मामले की अफसरों से जानकारी मांगी जाएगी कि पोर्टल पर एक ही कंपनी को कैसे क्वालिफाई मानकर सातों टेंडर अलॉट किए गए। ऐसे में गड़बड़ी कहां हुई है, इसका पता लगाया जाएगा।