हरियाणा के इन गांवों में कब्जाधारकों को मिलेगा मालिकाना हक, इतने पैसे करवाने होंगे जमा
हरियाणा मंत्रिमंडल ने कई महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी दी है। इनमें सबसे बड़ा फैसला शामलात भूमि को लेकर है। इसके तहत पूर्वी पंजाब भूमि उपयोग अधिनियम 1949 के तहत जिन लोगों ने शामलात भूमि को 20 साल के लिए पट्टे पर लिया था, सरकार ने उन्हें मालिकाना हक देने का फैसला लिया है
हालांकि इसके लिए शर्त भी रखी है। इसके मुताबिक उन्हें ग्राम पंचायत को निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा। यह राशि सरकार बाद में निर्धारित करेगी। इस दायरे में वे लोग ही आएंगे जिन्होंने 31 मार्च 2004 तक खुली जगह समेत 500 वर्ग तक बाजार शुल्क से कम पर घरों निर्माण किया होगा।
मंत्रिमंडल की बैठक में हिसार के गांव ढंढूर, पीरांवाली, झिरी (चिकनवास) और बाबरान (बस्ती और डिग्गी ताल) में रहने वालों को आवासीय भूमि या भूखंडों का मालिकाना देने वाली नीति बनाने को मंजूरी दे दी गई।
इस नीति के तहत 31 मार्च 2023 तक राजकीय पशुधन फार्म की 1873 कनाल 19 मरला भूमि पर निर्मित आवास वाले लोगों स्वामित्व अधिकार मिलेगा।
इन चार गांवों में 31 मार्च 2023 तक निर्मित आवास वाले भूखंड, संपत्ति के सभी कब्जाधारी और जिनके नाम जिला प्रशासन हिसार के ड्रोन-इमेजिंग सर्वेक्षण में दिखाई देते हैं, वे ही आवंटन के लिए पात्र होंगे। लाभार्थियों के लिए परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) आनिवार्य होगा। हिसार के अतिरिक्त उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय समिति आवेदनों की जांच करेगी।
मालिकाना हक के लिए देना होगा शुल्क
जमीन शुल्क
250 वर्ग गज तक दो हजार रुपये प्रति वर्ग गज
251 वर्ग गज से लेकर एक कनाल तक तीन हजार रुपये प्रति वर्ग गज
एक कनाल से अधिक व चार कनाल तक चार हजार रुपये प्रति वर्ग गज
चार कनाल से बड़े प्लॉट दावे स्वीकार नहीं होंगे