IAS Anupama Anjali: वो महिला IAS, जिसने बिना कोचिंग क्रैक किया UPSC, पिता और दादा भी रह चुके सिविल सेवक

 
IAS Anupama Anjali: वो महिला IAS, जिसने बिना कोचिंग क्रैक किया UPSC, पिता और दादा भी रह चुके सिविल सेवक

यूपीएससी को देश की सबसे मुश्किल परीक्षा में से एक माना जाता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आज हम आपको ऐसी आईएएस अफसर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी क्रैक कर सफलता हासिल की।

इंजीनियरिंग के दौरान शुरू की UPSC की तैयारी
दिल्ली की रहने वाली अनुपमा ने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। ​​इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उनका पहला प्रयास असफल साबित हुआ, लेकिन उम्मीद खोने के बजाय, अनुपमा दृढ़ रहीं और खुद को एक और मौका देने का फैसला किया।

इस रैंक के साथ बनीं IAS
अपने दूसरे प्रयास के लिए, अनुपमा ने खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर बनाने के लिए समर्पित कर दिया। साल 2018 की UPSC परीक्षा में उन्हें उनके अथक प्रयासों का फल मिला, क्योंकि उन्होंने परीक्षा में ऑल इंडिया 386 रैंक हासिल की और अंतत: अपने IAS ऑफिसर बनने का सपना पूरा किया।


वंचित बच्चों के उत्थान के लिए कर रहीं काम
अपनी सफलता के बाद, अनुपमा को आंध्र प्रदेश कैडर अलॉट किया गया, जहां उन्होंने गुंटूर जिले में जॉइंट कलेक्टर की भूमिका निभाई। अपनी नई पोस्टिंग में, वह अपने जिले के वंचित बच्चों के उत्थान की दिशा में लगन से काम करती हैं और महत्वाकांक्षी यूपीएससी उम्मीदवारों को गाइडेंस और सहायता प्रदान करती हैं।

पिता और दादा भी रह चुके सिविल सेवक
अनुपमा अंजलि के फैमिली बैकग्राउंड ने उनके करियर की आकांक्षाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पिता एक आईपीएस अधिकारी, और उनके दादा भी एक सिविल सेवक थे, जो उनके जीवन में प्रभावशाली व्यक्ति थे। समुदाय की सेवा करने और महत्वपूर्ण निर्णय लेने के प्रति उनके समर्पण को देखकर उन्हें छोटी उम्र से ही यूपीएससी में अपना करियर बनाने की प्रेरणा मिली।

तो इस ट्रिक के साथ की यूपीएससी की तैयारी
यूपीएससी परीक्षा की अपनी कठोर तैयारी के दौरान, अनुपमा ने अपनी दिनचर्या के प्रति सचेत दृष्टिकोण अपनाया। अपनी सुबह की शुरुआत ध्यान से करती थीं, उनका मानना ​​था कि आने वाले दिन के लिए सही माहौल बनाना चाहिए। इसके बाद, वह खुद से बात करती थीं, खुद को प्रेरित करती थीं और अपने लक्ष्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती थीं।

मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर दिया ध्यान
मानसिक तीक्ष्णता बनाए रखने में शारीरिक स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए, अनुपमा ने नियमित शारीरिक व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। उन्होंने पाया कि दिन के दौरान 20 मिनट की एक साधारण सैर दिमाग को तरोताजा कर सकती है, जिससे पढ़ाई के दौरान उनका ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है।

असफलता अंत नहीं है बल्कि सीखने और आगे बढ़ने का अवसर
अनुपमा अंजलि की सफलता की कहानी दृढ़ता की शक्ति का प्रमाण है, जो उम्मीदवारों को याद दिलाती है कि असफलता अंत नहीं है बल्कि सीखने और आगे बढ़ने का अवसर है। अपने समुदाय की सेवा करने और भविष्य के यूपीएससी उम्मीदवारों को सलाह देने के लिए अपने समर्पण के माध्यम से, वह सिविल सेवा क्षेत्र में अपने सपनों का पीछा करने वालों के लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शक बनी हुई है।


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