Haryana News: हरियाणा में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़, देसी घी खाने वाले हो जाएं सावधान, जाने क्या है वजह

Haryana News: हरियाणा में अगर आप है और देसी घी के साथ खाना बनाने की सोच रहे है तो आपको सावधान होने की जरूरत है। जो घी आप घर में इस्तेमाल कर रहे है वो आपको बीमार भी कर सकता है।
दरअसल हरियाणा में देसी घी की मांग को देखते हुए मिलावटी देसी घी बनाने का बड़ा खेल चल रहा है।
इस खेल में केवल घी बनाने वाले ही शामिल नहीं बल्कि बड़े-बड़े दुकानदार भी शामिल हैं क्योंकि यदि घी का जब तक खरीददार ही नहीं मिलेगा तो इसका उत्पादन भी नहीं हो सकता।
जींद से मिलावटी देसी घी हांसी, हिसार, रोहतक, पानीपत, कैथल व अंबाला तक सप्लाई किया जाता था।
इसमें सरकार को तो टैक्स का चूना लगता ही है, साथ ही मोटा मुनाफा होने के कारण इस गोरखधंधे को पनपने का खूब मौका मिलता है।
पुलिस ने इस मामले में श्याम नगर निवासी आनंद के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है।
उसकी गिरफ्तारी के बाद ही पता चलेगा कि वह यह घी कहां-कहां सप्लाई करता था और इसमें कौन-कौन शामिल हैं।
शिकायतकर्ता देसी घी बनाने वाली कई कंपनियों के मार्केटिंग इंटेलीजेंस ऑफिसर नोएडा निवासी जितेंद्र के अनुसार जींद में पहले भी कई स्थानों पर मिलावटी देसी घी बनाने के मामले पकड़े गए हैं।
जींद देसी घी बनाने का हब है। मिलावटी घी बनाने वाले पहले बड़े-बड़े दुकानदारों से संपर्क करते हैं।
इनकी डिमांड के अनुसार ही घी बनाया जाता है, क्योंकि यह दुकानदार भी मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में मिलावटी घी लेते हैं और उसको आगे सप्लाई कर देते हैं।
यह दुकानदार होलसेल का काम करते हैं। कुछ दुकानदारों के बारे में कंपनी को सूचना मिली है। जल्द ही इन दुकानदारों पर भी दबिश दी जाएगी।
सब्जीमंडी की जिस फैक्टरी में यह घी बनाया जा रहा था, वहां पर लगभग प्रतिदिन 1200 लीटर घी तैयार किया जाता है। यदि मांग ज्यादा आती थी तो यहां पर प्रतिदिन 20 हजार लीटर घी भी तैयार किया जा सकता था।
यहां पर 40 हजार लीटर घी तैयार करने का सामान बरामद हुआ है। इतने बड़े पैमाने पर घी तैयार करने का सीधा अर्थ है कि पूरे हरियाणा में इस घी की सप्लाई की जाती थी।
फैक्टरी से अनेक नामी कंपनियों के रेपर मिले हैं। इससे साफ है कि यहां पर लगभग सभी देसी घी बनाने वाली कंपनियों के नाम से मिलावटी घी तैयार किया जाता था।
जितेंद्र के अनुसार प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग कंपनियों के घी की मांग होती है। कहीं अमूल का घी ज्यादा बिकता है तो कहीं नेस्ले का और कहीं पतंजलि का।
इसलिए जिस भी जिले से जिस भी कंपनी के घी की मांग आती है, उसी कंपनी के रेपर में यह मिलावटी घी पेक करके भेज दिया जाता। आनंद को बड़े-बड़े होलसेल का काम करने वाले दुकानदार ऑर्डर देते थे।
फैक्टरी से सात रबड़ की स्टैंप भी मिली हैं। इनके द्वारा मिलावटी घी को पेक करने के बाद डिब्बे या थैली पर बैच नंबर, पैकिंग की तारीख व एमआरपी की मोहर लगाई जाती है।
इस पर बैच नंबर इस प्रकार से लिखा जाता था ताकि देखने वाले को इसके बारे में कोई पता नहीं लगे।
फैक्टरी में जब छापा मारा तो यहां पर लगभग चार हजार विभिन्न कंपनियों की पैकिंग थैलियां मिली। इनमें हर ब्रांड की पेकिंग उपलब्ध थी।
ऐसी कोई भी पेकिंग नहीं थी, जो हरियाणा में नहीं हो। हर ब्रांडिड कंपनी की पेकिंग यहां पर दो मशीनों द्वारा की जाती थी। बाकायदा जिस प्रकार ब्रांडेड कंपनियां पेक करती हैं, उसी प्रकार की मशीनें यहां पर उपलब्ध थी।