हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों की होगी बल्ले बल्ले, सरकार ने जारी किया ये खास निर्देश

 
हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों की होगी बल्ले बल्ले, सरकार ने जारी किया ये खास निर्देश

हरियाणा सरकार ने अब सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जारी किये जाने वाले प्रशस्ति-पत्र बारे नए दिशा -निर्देश जारी किये हैं। मुख्यमंत्री द्वारा जारी प्रशस्ति पत्र को सर्वोच्च माना जाएगा।

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने इस संबंध में सभी प्रशासकीय सचिवों, विभागाध्यक्षों, निगमों व बोर्डों के प्रबंध निदेशकों, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट तथा हरियाणा के सभी विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार, मंडलायुक्तों और उपायुक्तों को पत्र लिखा है।

एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मुख्य सचिव द्वारा उक्त अधिकारियों को लिखे इस पत्र में कहा गया है कि प्रशस्ति पत्र जारी करने में अत्यधिक सावधानी बरती जानी चाहिए और ये केवल ऐसे मामलों में ही प्रदान किए जाएं, जो वास्तव में मूल्यांकन योग्य हैं। 

यदि प्रशस्ति पत्र आसानी से जारी कर दिया जाता है, तो यह महत्वहीन हो जाएगा। 

पत्र में कहा गया है कि प्रशस्ति पत्र केवल नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा ही जारी किया जाना चाहिए, न कि उससे निचले अधिकारी द्वारा। नियुक्ति प्राधिकारी के स्तर से नीचे के अधिकारी आमतौर पर अपने अधीनस्थों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के संबंध में टिप्पणी कर सकते हैं, जिसे संबंधित अधिकारी-कर्मचारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में उचित रूप से दर्ज किया जाना चाहिए।

पत्र में यह भी कहा गया है कि कई अवसरों पर क्षेत्र में किसी कार्यकारी अधिकारी को अपने अधीनस्थों को किसी विशिष्ट घटना, जैसे बाढ़ राहत, टिड्डियों, कुछ अति विशिष्ट व्यक्तियों के दौरों आदि के दौरान किए गए अच्छे कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र जारी करके प्रोत्साहित करने की आवश्यकता महसूस होती है तो ऐसे मामलों में नियुक्ति प्राधिकारी से नीचे के अधिकारियों द्वारा भी प्रशस्ति पत्र जारी किए जा सकते हैं, लेकिन ऐसे पत्रों को व्यक्तिगत फाइलों में नहीं रखा जाएगा।

पत्र में कहा गया है कि जहां केवल एक रिपोर्टिंग प्राधिकारी है और वह स्पष्ट रूप से प्रशस्ति पत्र जारी करने की सिफारिश करता है और प्रशंसा के लिए प्रस्तावित कार्य को भी इंगित करता है, ऐसे मामलों में प्रशस्ति पत्र जारी किया जा सकता है। 

इसके विपरीत, जहां एक से अधिक रिपोर्टिंग प्राधिकारी हैं और पहला रिपोर्टिंग प्राधिकारी प्रशंसा के लिए प्रस्तावित कार्य के संकेत के साथ स्पष्ट शब्दों में प्रशस्ति पत्र की सिफारिश कर देता है और दूसरा प्राधिकारी केवल यह कहकर इसका समर्थन करता है कि ‘मैं सहमत हूं’। 

ऐसे में प्रशस्ति पत्र जारी किया जा सकता है क्योंकि दूसरे रिपोर्टिंग प्राधिकारी ने भले ही स्पष्ट रूप से अधिक शब्दों में यह नहीं कहा हो कि प्रशस्ति पत्र जारी किया जा सकता है परन्तु ‘मैं सहमत हूं’ शब्द पहले रिपोर्टिंग प्राधिकारी की सिफारिश का समर्थन करने के लिए पर्याप्त हैं। इसी प्रकार, जहां दो रिपोर्टिंग प्राधिकारी प्रशस्ति पत्र जारी करने की अनुशंसा कर देते हैं और सर्वोच्च प्राधिकारी उस अनुशंसा का खंडन नहीं करता, लेकिन ‘देखा’ या ‘कोई टिप्पणी नहीं’ शब्द दर्ज करता है या केवल अपने हस्ताक्षर करता है, ऐसे मामले में भी प्रशस्ति पत्र जारी किया जा सकता है। 

हालांकि, यदि अंतिम प्राधिकारी निचले प्राधिकारी की सिफारिश को रद्द कर देता है तो ऐसी सूरत में कोई प्रशस्ति पत्र जारी नहीं किया जाना चाहिए। 

इसी प्रकार, यदि दो निचले रिपोर्टिंग प्राधिकारी प्रशस्ति पत्र जारी करने की अनुशंसा नहीं करते, लेकिन उच्चतम प्राधिकारी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में ऐसे पत्र के लिए अनुशंसा कर देता है तो प्रशस्ति पत्र सीधे जारी नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में प्रशासनिक प्राधिकारी, जो अगला शीर्ष रिपोर्टिंग प्राधिकारी है, द्वारा प्रशस्ति पत्र जारी करने के संबंध में निर्णय लिया जाना चाहिए।

पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि प्रशस्ति पत्र जारी करने की अनुशंसा करने वाला सर्वोच्च प्राधिकारी प्रशासनिक सचिव है, तो इसके संबंध में निर्णय प्रभारी मंत्री द्वारा लिया जाना चाहिए। 

इसी प्रकार, यदि प्रशस्ति पत्र जारी करने की अनुशंसा करने वाला सर्वोच्च प्राधिकारी प्रभारी मंत्री है तो इसके संबंध में निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा लिया जाना चाहिए। यदि प्रशस्ति पत्र जारी करने की सिफारिश मुख्यमंत्री द्वारा की गई है तो आगे किसी प्रकार की जांच की आवश्यकता नहीं होगी और सिफारिश के अनुसार प्रशस्ति पत्र जारी किया जा सकता है।