Haryana Cabinet Expansion: हरियाणा में इन विधायकों को कैबिनेट विस्तार में मिल सकती है जगह ?

 
 हरियाणा में इन विधायकों को कैबिनेट विस्तार में मिल सकती है जगह ?

हरियाणा के उन विधायकों की उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है, जोकि मंत्री बनने की जुगत में हैं। चूंकि सरकार की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अभी भी मंथन जारी है। सभी पहलुओं पर बारीकी से बातचीत चल रही है। 

जीटी रोड बेल्ट व अहीरवाल के साथ मध्य हरियाणा को भी साधने की कोशिश भाजपा करेगी। इसी वजह से जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण टटोले जा रहे हैं ताकि कैबिनेट में अधिकतम वर्गों व समुदायों को प्रतिनिधित्व मिल सके।

शनिवार को कैबिनेट विस्तार टलने के पीछे भी ये समीकरण ही मुख्य वजह बने। यह सरकार ने पता कर लिया है कि आचार संहिता में मंत्रिमंडल विस्तार में किसी तरह की रुकावट नहीं आएगी। 

सरकार तो यहां तक मानकर चल रही है कि विस्तार के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं है। फिर भी अगर, इस तरह की कोई बात आई तो सरकार इस दलील के साथ आयोग से इजाजत ले सकती है कि नई सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही है। कैबिनेट को पूरा किया जाना जरूरी है।

वहीं मौजूदा कैबिनेट के स्वरूप के साथ सरकार लोकसभा चुनावों में जाने को तैयार नहीं है। कैबिनेट में जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को भी साधने की कोशिश की जा रही है। 

कैबिनेट विस्तार में अहीरवाल से शामिल होने वाले चेहरों को लेकर उनकी पसंद-नापसंद का विशेष ख्याल रखा जाएगा। चुनावी माहौल में भाजपा किसी भी सूरत में राव इंद्रजीत सिंह की अनदेखी नहीं करेगी।

राज्य के अलावा केंद्रीय नेतृत्व को भी इस बात का आभास है कि भाजपा को लगातार दो बार सत्ता तक पहुंचाने में अहीरवाल बेल्ट की अहम भूमिका रही है। बेशक, अहीरवाल की राजनीति में कई बार खटपट की खबरें भी आती रही हैं, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी भी जग-जाहिर है। यही कारण है कि भाजपा ने भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह को लगातार तीसरी बार प्रत्याशी बनाने से पहले राव इंद्रजीत सिंह से चर्चा भी की।

इधर, जीटी रोड पर दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को मनाने का है। विज पब्लिक प्लेटफार्म पर कितना ही कहते रहें कि वे नाराज़ नहीं हैं, लेकिन भाजपा को यह अच्छे से पता है कि वर्तमान हालात में विज की अनदेखी करने का अच्छा मैसेज नहीं जाएगा। 

यह बात अलग है कि विज को मनाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व किस एंगल से बात करता है। बेबाक और बोल्ड अनिल विज को अपने स्टैंड की वजह से राजनीतिक तौर पर नुकसान भी उठाना पड़ा है। 

पार्टी विज को फिर से मुख्यधारा में लाने की हरसंभव कोशिश करेगी। इसका बड़ा कारण यह भी है कि विज प्रदेश के लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं। लोगों से उनका मिलने का क्रम और वर्किंग स्टाइल केवल उनकी बिरादरी यानी पंजाबी वर्ग को नहीं बल्कि दूसरी जातियों के लोगों को भी भाता है। 

इसी तरह से सरकार को समर्थन दे रहे छह निर्दलीय विधायकों के अलावा सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा को भी भाजपा विश्वास में लेकर ही चलेगी। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि शनिवार को कैबिनेट विस्तार रुकने में कहीं न कहीं निर्दलीयों का दबाव भी एक कारण रहा होगा।

इस तरह साधे जाएंगे जातिगत समीकरण
मौजूदा कैबिनेट में सीएम नायब सैनी व कंवर पाल गुर्जर पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जाट कोटे से चौ. रणजीत सिंह और जेपी दलाल हैं। ब्राह्मण कोटे से मूलचंद शर्मा और एससी से डॉ. बनवारी लाल को कैबिनेट में जगह मिली हुई है। विस्तार में कम से कम एक जाट के अलावा दो पंजाबी, एक राजपूत, एक वैश्य, एक एससी तथा एक या दो यादव को शामिल किया जा सकता है। कैबिनेट में कम से कम एक महिला को भी जगह मिलेगी।

मंत्रिमंडल में अभी 8 पद खाली
नब्बे सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में सीएम सहित कुल चौदह मंत्री बन सकते हैं। वर्तमान में सीएम नायब सैनी के अलावा पांच कैबिनेट मंत्री – कंवर पाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, चौ. रणजीत सिंह, जेपी दलाल और डॉ़ बनवारी लाल शामिल हैं। अभी आठ और विधायकों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। ऐसे में सरकार सभी पदों को भर सकती है। इस तरह की संभावनाओं से भी नकारा नहीं जा सकता कि कैबिनेट में एक से दो पदों काे खाली रख लिया जाए।

तीन दिन बाद ही कुछ संभव
हरियाणा कैबिनेट का विस्तार अगर होना है तो वह तीन दिन बाद ही हो पाएगा। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय हैदराबाद गए हुए हैं। वे तीन दिन बाद ही लौटेंगे। तब तक सरकार भी कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले चेहरों को फाइनल कर लेगी। इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अपनी पूरी कैबिनेट के साथ ही लोकसभा चुनावों के लिए मैदान में उतरेंगे।

”आदर्श चुनाव आचार संहिता में कैबिनेट विस्तार होने या नहीं होने को लेकर कोई नियम नहीं हैं। सरकार विस्तार को लेकर आयोग से परमिशन मांगती है तो उसे भारत के चुनाव आयोग को भेजा जाएगा। चुनाव आयोग के फैसले के अनुसार निर्णय होगा। अगर सरकार बिना अनुमति के विस्तार करती है और इसकी कोई शिकायत आयोग के पास आती है तो फिर उस पर नियमों के अनुसार निर्णय होगा। ”

-अनुराग अग्रवाल, मुख्य निर्वाचन अधिकारी