Good News: हरियाणा में विकसित होगा बाजरे का बाजार, औद्योगिक इकाइयों को मिलेगी सब्सिडी, जानें कैसे

Haryana News: हरियाणा की मनोहर सरकार मोटे अनाज वर्ष में केन्द्र सरकार की श्री अन्न योजना को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सूबे में बाजरे का बाजार विकसित करने की संभावना तलाश करने में जुट गई है. इसके तहत, खट्टर सरकार ऐसी सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहित करेगी जो बाजरे की फसल की कटाई के बाद उसके प्रबंधन, प्रसंस्करण और ब्रांडिंग को बढ़ावा देंगी.
सरकार देगी सब्सिडी
बाजरा प्रसंस्करण संबंधी औद्योगिक इकाइयों को हरियाणा सरकार ब्याज सबवेंशन सब्सिडी प्रदान करेगी और ब्याज सबवेंशन के तहत सरकार कम ब्याज दरों पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को ऋण उपलब्ध कराने में मदद करेगी. बता दें कि आजकल बाजार में बाजरे से बने उत्पादों बिस्किट, नमकीन, खिचड़ी और खीर आदि की काफी मांग होने लगी है.
श्री अन्न योजना...
गौरतलब है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2023 को बजट पेश करते समय श्री अन्न योजना को लांच किया था. जिसके तहत, मोटे अनाज और उसकी खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान रखा गया था. इसी सिलसिले में हरियाणा सरकार राज्य में मोटे अनाज की खेती और उसके खानपान को प्रोत्साहित करने के लिए आधा दर्जन से अधिक आयोजन कर चुकी है.
बाजरे से बनने वाले उत्पादों का बाजार तैयार होगा
केन्द्र सरकार की श्री अन्न योजना के बाद हरियाणा सरकार ने बाजरे से बनने वाले खाद्य उत्पादों को तैयार करने वाली छोटी इकाइयों को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है ताकि बाजरा उत्पादन करने वाले किसानों को भी फायदा पहुंचे और छोटे उद्यमियों को भी लाभ मिलें. इसी कड़ी में हरियाणा सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहित करने के लिए इस बार के बजट में 1,442 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है, जो कि पिछले साल से 88.25 प्रतिशत अधिक है.
हरियाणा दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य
बता दें कि राजस्थान के बाद सबसे ज्यादा बाजरे का उत्पादन हरियाणा में ही होता है. हालांकि केंद्र सरकार की इस योजना से पहले हरियाणा सरकार बाजरे की खेती को प्रोत्साहित करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि राजस्थान का सारा बाजरा बिक्री के लिए हरियाणा में आता था. हरियाणा सरकार बाजरे को 2350 रूपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदती है जबकि राजस्थान में बाजरे की कोई MSP नहीं है.