Onion Price: बड़ा झटका! प्याज के दाम ने छुआ आसमान, जाने क्या है ताजा प्राइस

 

Onion Price: बड़ा झटका! प्याज के दाम ने छुआ आसमान, जाने क्या है ताजा प्राइस

प्याज का निर्यात शुरू होने के बाद महाराष्ट्र की मंडियों में इसकी आवक काफी कम हो गई है, जिससे कीमत रिकॉर्ड बना रही है। महाराष्ट्र कृषि विपणन बोर्ड के अनुसार 17 जून को राज्य की 18 मंडियों में प्याज की नीलामी हुई, जिसमें से सिर्फ 2 में ही 10 हजार क्विंटल से ज्यादा की आवक हुई। बाकी में सिर्फ 400-500 से 2000 क्विंटल प्याज ही बिक्री के लिए आया। कुछ मंडियों में तो आवक 100 क्विंटल से भी कम रही।

कम आवक के कारण कीमत में उछाल आ रहा है। राज्य में किसानों को दिया जाने वाला न्यूनतम मूल्य भी 2800 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है। जबकि अधिकतम मूल्य 3000 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है। जिन मंडियों में रोजाना 50 हजार से 1 लाख क्विंटल प्याज बिक्री के लिए आता था, वहां अब सिर्फ 20-25 हजार क्विंटल की आवक रह गई है। इनमें सोलापुर मंडी का नाम भी शामिल है।

किसानों का कहना है कि अगर कम से कम 6 महीने तक उन्हें इसी तरह के दाम मिले तो पिछले दो सालों में हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी। पिछले दो सालों से किसान 1-2 रुपए से लेकर 10 रुपए प्रति किलो तक के थोक भाव पर प्याज बेचने को मजबूर हैं, क्योंकि सरकार दाम बढ़ने नहीं दे रही थी। कभी 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगा रही थी तो कभी न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाकर कीमतों को काबू में रख रही थी।

किस मंडी में सबसे ज्यादा आवक हुई?

कृषि विपणन बोर्ड के अनुसार लासलगांव-विंचूर में 17 जून को 10836 क्विंटल प्याज की आवक हुई। यह राज्य की किसी भी मंडी में सबसे ज्यादा आवक है। इसके बावजूद अधिकतम कीमत 2800 रुपए प्रति क्विंटल रही। न्यूनतम कीमत 1000 रुपये और औसत कीमत 2600 रुपये रही।

पिंपलगांव-बसवंत में रिकॉर्ड 10800 क्विंटल आवक के बावजूद अधिकतम कीमत 3071 रुपये और औसत कीमत 2750 रुपये रही। न्यूनतम कीमत 1000 रुपये रही। देश में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में थोक कीमतों का यह हाल है। यहां के किसान सरकार से 3000 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम कीमत की मांग कर रहे थे।

निर्यात शुरू होते ही कीमतें बढ़ने लगीं

किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने 7 दिसंबर की रात को प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। निर्यात पर रोक करीब पांच महीने तक जारी रही, जिसके कारण हर प्याज उत्पादक किसान को करीब तीन लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

इसके चलते किसानों ने लोकसभा चुनाव में उन लोगों को सबक सिखाने का ऐलान किया, जिनकी वजह से इतना बड़ा नुकसान हुआ। इसी डर से केंद्र सरकार ने चुनाव के बीच में 4 मई को निर्यात फिर से खोल दिया। अगर सरकार ने चुनावों में सबक सीख लिया है तो अब निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर नुकसान नहीं उठाएगी, वरना किसान फिर सबक सिखा देंगे।