IAS Success Story: झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली बना IAS अफसर, पहले ही प्रयास में पास की परीक्षा, जाने उम्मुल खेर की संघर्ष भरी कहानी

 कहते हैं कि अगर इंसान के अंदर दृढ़ निश्चय हो और कुछ कर गुजरने का जब्बा हो तो सफलता उसके कदम चूमती है। 
 
IAS Success Story

IAS Success Story: कहते हैं कि अगर इंसान के अंदर दृढ़ निश्चय हो और कुछ कर गुजरने का जब्बा हो तो सफलता उसके कदम चूमती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है राजस्थान के पाली मारवाड़ में पैदा होने वाली उम्मुल खेर ने उम्मुल खेर विकलांग पैदा हुईं, लेकिन उन्होंने विकलांगता को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की और पहले ही प्रयास में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास कर दिखाया। उम्मुल खेर आज एक आईएएस अधिकारी हैं।

कम उम्र में ही उम्मुल खेर की माँ की मृत्यु भी हो गयी थी, तब परिवार ने इन्हें पढ़ाई छोड़ने के लिए कहा, लेकिन उम्मुल ने हार नहीं मानी और मेहनत करती रहीं, आज वे IAS बन चुकी हैं।

बीमारी को नहीं बनने दी कमजोरी

उम्मुल बचपन से ही बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर नामक बीमारी से जूझ रही थी। इस बीमारी में इंसान की हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं। बीमारी के कारण उम्मुल के 16 फ्रैक्चर हो चुके हैं, साथ ही उनकी 8 सर्जरियां भी हो चुकी हैं।

इन सबके बावजूद उम्मुल का हौसला कम नहीं हुआ। अपनी पीएचडी के साथ ही उम्मुल ने UPSC की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए उन्होंने दिन रात एक कर दिए और 2016 में 420वीं रैंक के साथ उम्मुल ने अपने पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा पास कर ली।

ट्यूशन पढ़ाकर भर्ती थी फीस (IAS Success Story)

उम्मुल अपनी स्कूल की फीस ट्यूशन से कमाए पैसों से देती थी. उम्मुल खैर (Ummul Khair) ने कक्षा 10 में 91% और कक्षा 12 में 89% अंक प्राप्त किए थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उम्मुल ने जेएनयू से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एमए किया और फिर एमफिल/पीएचडी में प्रवेश ले लिया और इसके साथ ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।

अपनी कड़ी मेहनत के कारण, उन्होंने 2017 में पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली और अपने आईएएस बनाने का सपना पूरा कर लिया। पूरे भारत में 420वीं रैंक प्राप्त करके उम्मुल खैर (Ummul Khair) एक आईएएस अधिकारी बन गईं. आज उनकी कहानी उनके जैसे हजारों लोगों के लिए प्रेरणा है।

पहले ही प्रयास में पास की यूपीएससी परीक्षा

उम्मुल खेर की कहानी जितनी संघर्षपूर्ण है उतनी ही प्रेरणादायक भी । भले ही उम्मुल निरंतर आगे बढ़ती जा रहीं थीं पर मुश्किलें भी उनका इम्तिहान लेने से बाज नहीं आ रहीं थी । साल 2012 में उनका एक्सीडेंट हो गया जिसके बाद उन्हें करीब एक साल तक बिस्तर पर ही रहना पड़ा ।

हालांकि तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और सिविल सेवा की तैयारी करनी शुरू कर दी। साल 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में उम्मूल 420 वीं रैंक लाईं और अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी क्रैक कर आईएएस बन गईं ।'

उम्मुल खेर ने अपने सपनों और लगन के बूते समाज में एक नया मानदंड स्थापित किया जो न जाने कितने ही लोगों के लिए प्रेरणादाई है ।